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ग़ज़ल
मुझे बे-दस्त-ओ-पा कर के भी ख़ौफ़ उस का नहीं जाता
कहीं भी हादिसा गुज़रे वो मुझ से जोड़ देता है
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है
राजेश रेड्डी
ग़ज़ल
हादिसा भी होने में वक़्त कुछ तो लेता है
बख़्त के बिगड़ने में देर कुछ तो लगती है
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
मैं एक हादसा बन कर खड़ा था रस्ते में
अजब ज़माने मिरे सर से थे गुज़रते हुए
राजेन्द्र मनचंदा बानी
ग़ज़ल
मुझे पता था कि ये हादसा भी होना था
मैं उस से मिल के न था ख़ुश जुदा भी होना था