aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ربڑ"
सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों सेसो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं
सैकड़ों ऐसी दुकानें हैं जहाँ मिल जाएँगीधात की पत्थर की शीशे की रबड़ की औरतें
अब हम हैं और सारे ज़माने की दुश्मनीउस से ज़रा सा रब्त बढ़ाना बहुत हुआ
अजब कुछ रब्त है तुम से कि तुम कोहम अपना जान कर ठुकरा रहे हैं
रब्त-ए-बाहम पे हमें क्या न कहेंगे दुश्मनआश्ना जब तिरे पैग़ाम से जल जाते हैं
या रब मुझे महफ़ूज़ रख उस बुत के सितम सेमैं उस की इनायत का तलबगार नहीं हूँ
लोग नहीं डरते रब सेतुम लोगों से डरती हो
पेड़ की छाल से रगड़ खा करवो तने से फिसल रही होगी
या रब हुजूम-ए-दर्द को दे और वुसअ'तेंदामन तो क्या अभी मिरी आँखें भी नम नहीं
हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ साजो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे
बाहमी रब्त में रंजिश भी मज़ा देती हैबस मोहब्बत ही मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं
या रब हमें तो ख़्वाब में भी मत दिखाइयोये महशर-ए-ख़याल कि दुनिया कहें जिसे
आप तो नज़दीक से नज़दीक-तर आते गएपहले दिल फिर दिल-रुबा फिर दिल के मेहमाँ हो गए
रब्ब-ए-सुख़न मुझे तिरी यकताई की क़समअब कोई सुन के बोलने वाला भी चाहिए
या रब इस इख़्तिलात का अंजाम हो ब-ख़ैरथा उस को हम से रब्त मगर इस क़दर कहाँ
हो लिए क्यूँ नामा-बर के साथ साथया रब अपने ख़त को हम पहुँचाएँ क्या
अब अपनी हक़ीक़त भी 'साग़र' बे-रब्त कहानी लगती हैदुनिया की हक़ीक़त क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए
अचानक दिलरुबा मौसम का दिल-आज़ार हो जानादुआ आसाँ नहीं रहना सुख़न दुश्वार हो जाना
रब्त की ख़ैर है बस तेरी अना बच जाएइस तरह जा कि तुझे लौट के आना न पड़े
है कहाँ तमन्ना का दूसरा क़दम या रबहम ने दश्त-ए-इम्काँ को एक नक़्श-ए-पा पाया
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