आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "معصومیت"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "معصومیت"
ग़ज़ल
अज्ञात
ग़ज़ल
हमारी मा'सूमियत तो देखो रख आए दिल हम हुज़ूर-ए-जानाँ
कि जैसे कोई ख़ुदा का बंदा हवा के आगे चराग़ रख दे
चराग़ शर्मा
ग़ज़ल
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चाँद
अपनी रात की छत पर कितना तन्हा होगा चाँद