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ग़ज़ल
इम्तिहाँ हम ने दिए इस दार-ए-फ़ानी में बहुत
रंज खींचे हम ने अपनी ला-मकानी में बहुत
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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इम्तिहाँ हम ने दिए इस दार-ए-फ़ानी में बहुत
रंज खींचे हम ने अपनी ला-मकानी में बहुत