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ग़ज़ल
दुनिया में कोई दिल का ख़रीदार न पाया
सब देखे दिल-आज़ार ही दिलदार न पाया
मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार
ग़ज़ल
दहर में तेरे फ़रेबों से ऐ शोख़ अय्यार
कम कोई होगा न दिल जिस का दग़ा पावेगा
मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार
ग़ज़ल
गुल दिल-फ़िगार ओ लाला हुआ ग़म से दाग़दार
जैसे कि तेरे हाथों पे रंग-ए-हिना हुआ
मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार
ग़ज़ल
ब-नाम-ए-कूचा-ए-दिलदार गुल बरसे कि संग आए
हँसा है चाक-ए-पैराहन न क्यूँ चेहरे पे रंग आए