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ग़ज़ल
हम न छोड़ेंगे मोहब्बत तिरी ऐ ज़ुल्फ़-ए-सियाह
सर चढ़ाया है तू क्या दिल से गिराएँ तुझ को
लाला माधव राम जौहर
ग़ज़ल
नया है हुस्न के बाज़ार का उतार-चढ़ाओ
चढ़ाया सर पे निगाहों से फिर गिरा भी दिया
बशीरुद्दीन अहमद देहलवी
ग़ज़ल
उधर शाने को उस के ज़ुल्फ़-ओ-काकुल ने चढ़ाया सर
इधर दिल पर बला-ए-आसमाँ यक-दस्त नाज़िल है
वलीउल्लाह मुहिब
ग़ज़ल
हाए भी तुझ को ग़रीबों की नहीं लगती है
कैसा प्रसाद शिवाले में चढ़ाया लाला
राजीव रियाज़ प्रतापगढ़ी
ग़ज़ल
कि जैसे मुझ को चढ़ाया गया है सूली पर
कि जैसे मैं भी बड़े ऊँचे सर-फिरों में हूँ
मोहम्मद अहमद रम्ज़
ग़ज़ल
फ़न को सूली पे चढ़ाया गया फ़नकार के साथ
क़र्या क़र्या बिकी नामूस-ए-हुनर तेरे बा'द