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उधर वो बे-मुरव्वत बेवफ़ा बे-रहम क़ातिल है

वलीउल्लाह मुहिब

उधर वो बे-मुरव्वत बेवफ़ा बे-रहम क़ातिल है

वलीउल्लाह मुहिब

MORE BYवलीउल्लाह मुहिब

    उधर वो बे-मुरव्वत बेवफ़ा बे-रहम क़ातिल है

    इधर बे-सब्र-ओ-बे-तसकीन-ओ-बे-ताक़त मिरा दिल है

    उधर सय्याद चश्म-ओ-दाम-ए-ज़ुल्फ़-ओ-नावक-ए-मिज़्गाँ

    इधर पहलू में दिल इक सैद-ए-लाग़र नीम-बिस्मिल है

    उधर उस को तो मेरे नाम से भी नंग है हर-दम

    इधर सीने में दिल मुश्ताक़ है आशिक़ है माइल है

    उधर वो ख़ुद-परस्त अय्यार है मग़रूर है ख़ुद-बींं

    इधर मेरा दिल अज़-ख़ुद-रफ़्ता है शैदाई ग़ाफ़िल है

    उधर हर रोज़ का उस को ख़िलाफ़-ए-वा'दा है आसाँ

    इधर शब-ता-सहर-गह इंतिज़ारी सख़्त मुश्किल है

    उधर ख़ुश सैर-ए-दरिया से है वो ना-आश्ना ज़ालिम

    इधर हम ग़र्क़-ए-बहर-ए-ग़म हैं और नापैद साहिल है

    उधर बर्क़-ए-निगह है सब्र के ख़िर्मन की आतिश-ज़न

    इधर किश्त-ए-उम्मीद-ओ-यास अब तक सैर-ए-हासिल है

    उधर शाने को उस के ज़ुल्फ़-ओ-काकुल ने चढ़ाया सर

    इधर दिल पर बला-ए-आसमाँ यक-दस्त नाज़िल है

    उधर बाक़ी हवस है बे-हिसाब उस को जफ़ाओं की

    इधर लिखिए वफ़ाओं की तो कुछ अपना ही फ़ाज़िल है

    उधर वो आइने में अक्स-ए-रू अपने का है माइल

    इधर हर शय में वो है जल्वा-गर-ए-शक्ल-ओ-शमाइल है

    उधर है इख़्तिलात अग़्यार से उस यार-ए-जानी का

    इधर दिल ज़िक्र उस के का 'मुहिब' दिन रात शामिल है

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