आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "उकताए"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "उकताए"
ग़ज़ल
ज़िंदगी की क़द्र सीखी शुक्रिया तेग़-ए-सितम
हाँ हमें थे कल तलक जीने से उकताए हुए
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
क्यूँ घबराए घबराए हो क्यूँ उकताए उकताए हो
इक मुद्दत के बा'द आए हो कुछ दिन तो क़याम करो 'वाली'
वाली आसी
ग़ज़ल
लोग 'मुज़फ़्फ़र'-हनफ़ी को भी पाबंदी से पढ़ते हैं
चिकनी-चपड़ी ग़ज़लें पढ़ते पढ़ते जी उकताए तो
मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
ग़ज़ल
ख़ुद से उकताए हुए अपना बुरा चाहते हैं
बस कि अब अहल-ए-वफ़ा तर्क-ए-वफ़ा चाहते हैं