आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "उड़ानों"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "उड़ानों"
ग़ज़ल
शाम से पहले वो मस्त अपनी उड़ानों में रहा
जिस के हाथों में थे टूटे हुए पर शाम के बा'द
फ़रहत अब्बास शाह
ग़ज़ल
उड़ानों आसमानों आशियानों के लिए ताइर!
ये पर टूटे हुए मेरे ये मेयार-ए-नज़र ले जा
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
शिकस्ता-पर जुनूँ को आज़माएँगे नहीं क्या
उड़ानों के लिए पर फड़फड़ाएँगे नहीं क्या