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ग़ज़ल
उफ़ ये तलाश-ए-हुस्न-ओ-हक़ीक़त किस जा ठहरें जाएँ कहाँ
सेहन-ए-चमन में फूल खिले हैं सहरा में दीवाने हैं
इब्न-ए-सफ़ी
ग़ज़ल
क्यूँ दर-पय-ए-तलाश हैं अहबाब-ओ-अक़रबा
'परवीं' शहीद-ए-नाज़ को क़ातिल से क्या ग़रज़
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
'फ़ज़ा' है ख़ालिक़-ए-सुब्ह-ए-हयात फिर भी ग़रीब
कहाँ कहाँ न उफ़ुक़ की तलाश में डूबा
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
तलाश करती है दुनिया उसी के नक़्श-ए-क़दम
वही जो भीड़ में सब से जुदा दिखाई दे
बद्र-ए-आलम ख़ाँ आज़मी
ग़ज़ल
मिस्रा-ए-बहर-ए-तवील आप ब-ईं क़ामत-ओ-क़द
मैं वो मिस्रा नहीं जो आप पे चस्पाँ होता
हाशिम अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
अदा वो नीची निगाहों की है कि जैसे 'ज़फ़र'
तलाश-ए-कुंज-ए-ग़ज़ालान-ए-ख़ुर्द-साला करें