आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".bisu"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ".bisu"
ग़ज़ल
कर मुँह को टुक ब-सू-ए-क़नाअत ये हर्फ़ मान
रहती है लाख तरह की आफ़त क़िफ़ा-ए-हिर्स
मोहम्मद रफ़ी सौदा
ग़ज़ल
बीस इक्कीस बरस पीछे हमें कब तक मिलते रहना है
देखो, अब की बार मिलो तो दिल की बात बता देना
इरफ़ान सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
मैं नहीं हूँ माँगता दस बीस तुम से या पचास
सिर्फ़ दो बोसा लब-ए-शीरीं के हँस कर अब के दो
सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी
ग़ज़ल
हम सब को बताते रहते हैं ये बात पुरानी काम की है
दस बीस घरों में चर्चे हों तब जा के जवानी काम की है
अंजुम बाराबंकवी
ग़ज़ल
बीस बरस से इक तारे पर मन की जोत जगाता हूँ
दीवाली की रात को तू भी कोई दिया जलाया कर
माजिद-अल-बाक़री
ग़ज़ल
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
हर-दम तिरे फ़िराक़ में फिरता हूँ सू-ब-सू
लाखों बलाएँ आती हैं 'आजिज़' की जान पर
पीर शेर मोहम्मद आजिज़
ग़ज़ल
बहुत अपनी ताक बुलंद थी कोई बीस गज़ की कमंद थी
पर उछाल फाँदा वो बंद थी तिरे चौकी-दारों की जाग से