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ग़ज़ल
न अपना बाक़ी ये तन रहेगा न तन में ताब ओ तवाँ रहेगी
अगर जुदाई में जाँ रहेगी तुम्हीं बताओ कहाँ रहेगी
सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़
ग़ज़ल
बूँद अश्कों से अगर लुत्फ़-ए-रवानी माँगे
बुलबुला आँखों से ख़ूँनाबा-फ़िशानी माँगे
सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़
ग़ज़ल
कहाँ नसीब ज़मुर्रद को सुर्ख़-रूई ये
समझ में लाल की अब तक हिना नहीं आई
सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़
ग़ज़ल
मर कर ग़म-ए-हयात से शायद नजात हो
लेकिन वो क्या करे जो ब-क़ैद-ए-हयात हो
राजा अब्दुल ग़फ़ूर जौहर निज़ामी
ग़ज़ल
तमन्ना है ये आँखों की तिरा दीदार आ देखें
कभी रौज़ा तिरा या-अहमद-ए-मुख़्तार आ देखें
अब्दुल हलीम शरर
ग़ज़ल
हक़ीक़तों से है दुनिया को एहतिराज़ बहुत
कि है मिज़ाज-ए-ज़माना फ़साना-साज़ बहुत
राजा अब्दुल ग़फ़ूर जौहर निज़ामी
ग़ज़ल
मिरे दिन की तरह रौशन मिरी हर रात होती है
दुआ माँ की हर इक मौसम में मेरे साथ होती है
अब्दुल हफ़ीज़ साहिल क़ादरी
ग़ज़ल
मैं समझा था मोहब्बत फिर मोहब्बत है मज़ा देगी
ये क्या मा'लूम था ज़ालिम शब-ए-फ़ुर्क़त रुला देगी
फ़ाज़िल काश्मीरी
ग़ज़ल
कोई नज़्र-ए-ग़म-ए-हालात न होने पाए
और हर बात हो ये बात न होने पाए
अब्दुल रहमान ख़ान वस्फ़ी बहराईची
ग़ज़ल
तौबा का तकल्लुफ़ कौन करे हालात की निय्यत ठीक नहीं
रहमत का इरादा बिगड़ा है बरसात की निय्यत ठीक नहीं
अब्दुल हमीद अदम
ग़ज़ल
ग़म से घबरा के कभी नाला-ओ-फ़रियाद न कर
इज़्ज़त-ए-नफ़्स किसी हाल में बरबाद न कर
अब्दुल रहमान ख़ान वस्फ़ी बहराईची
ग़ज़ल
किस रंग में बयान करें माजरा-ए-क़ल्ब
देखा जो हम ने जल्वा-ए-हैरत-फ़ज़ा-ए-क़ल्ब