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ग़ज़ल
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
ये साक़ी की करामत है कि फ़ैज़-ए-मय-परस्ती है
घटा के भेस में मय-ख़ाने पर रहमत बरसती है
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
अब कैसे रफ़ू पैराहन हो इस आवारा दीवाने का
क्या जाने गरेबाँ होगा कहाँ दामन से बड़ा वीराने का
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
दर पे रहे ये दीदा-ए-गिर्यां तमाम-उम्र
लेकिन बुझी न आतिश-ए-हिज्राँ तमाम-उम्र
ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़
ग़ज़ल
अदू-ए-दीन-ओ-ईमाँ दुश्मन-ए-अम्न-ओ-अमाँ निकले
तिरे पैकाँ बड़े जाबिर बड़े ना-मेहरबाँ निकले
जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर
ग़ज़ल
शराब-ए-इश्क़ से मख़मूर सब ख़ुर्द-ओ-कलाँ होंगे
तुयूर-ए-बाग़-ए-उल्फ़त महव-ए-दीदार-ए-बुताँ होंगे
सय्यद ग़ाफ़िर रिज़वी फ़लक छौलसी
ग़ज़ल
दयार-ए-इश्क़ में तेरा गुज़र होवे तो मैं जानूँ
अगर सर तक भी जा कर राह सर होवे तो मैं जानूँ
ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़
ग़ज़ल
मकाँ मेरा अज़ल से ढूँढती फिरती थी वीरानी
निहायत शौक़ से की दिल ने रंज-ओ-ग़म की मेहमानी
मोहम्मद विलायतुल्लाह
ग़ज़ल
उजलतों में उस ने हम से कह दिया बे-फ़िक्र हूँ
पर हमारी चाह में शाम-ओ-सहर रोते रहे
इरफान आबिदी मानटवी
ग़ज़ल
नज़र में रहती है आवाज़ में पाई नहीं जाती
तमन्ना वो है जो अल्फ़ाज़ में लाई नहीं जाती
सय्यद सफ़दर हुसैन
ग़ज़ल
किस तरह चैन से दम भर शब-ए-फ़ुर्क़त में रहे
हाए वो दिल जो तिरे वस्ल की हसरत में रहे