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ग़ज़ल
चराग़-ए-ज़ीस्त मद्धम है अभी तू नम न कर आँखें
अभी उम्मीद में दम है अभी तू नम न कर आँखें
रेनू नय्यर
ग़ज़ल
कभी मुड़ के फिर इसी राह पर न तो आए तुम न तो आए हम
कभी फ़ासलों को समेट कर न तो आए तुम न तो आए हम
इन्दिरा वर्मा
ग़ज़ल
हटी ज़ुल्फ़ उन के चेहरे से मगर आहिस्ता आहिस्ता
अयाँ सूरज हुआ वक़्त-ए-सहर आहिस्ता आहिस्ता
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
बस्तियाँ ढूँढ रही हैं उन्हें वीरानों में
वहशतें बढ़ गईं हद से तिरे दीवानों में
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
जो उठी थी मेरी तरफ़ कभी दिल-ए-मो'तबर की तलाश में
मेरी सारी उम्र गुज़र गई उसी इक नज़र की तलाश में
कैफ़ मुरादाबादी
ग़ज़ल
नजमा शाहीन खोसा
ग़ज़ल
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
लुत्फ़ दुनिया तो फ़क़त दीदा-ए-नमनाक में है
शैख़ साहब की नज़र आज भी अफ़्लाक में है