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ग़ज़ल
वो मुझ से बे-ख़बर हैं उन की आदत ही कुछ ऐसी है
मैं उन को याद करता हूँ मोहब्बत ही कुछ ऐसी है
हसन बरेलवी
ग़ज़ल
बनने वाली ही थी नफ़रत की कहानी दुनिया
दौड़ कर अहल-ए-मोहब्बत ने बचा ली दुनिया
काशिफ़ अदीब मकनपुरी
ग़ज़ल
यावर अज़ीम
ग़ज़ल
हाँ क्या कहा कि ग़ैर से उल्फ़त भी कुछ नहीं
ये सच अगर है फिर मुझे हुज्जत भी कुछ नहीं
फ़हीमुद्दीन अहमद फ़हीम
ग़ज़ल
रग-ओ-पै में भरा है मेरे शोर उस की मोहब्बत का
नमक-परवर वो हूँ मैं यार के हुस्न-ओ-मलाहत का