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ग़ज़ल
आब की तासीर में हूँ प्यास की शिद्दत में हूँ
अब्र का साया हूँ लेकिन दश्त की वुसअत में हूँ
भारत भूषण पन्त
ग़ज़ल
कहीं जैसे मैं कोई चीज़ रख कर भूल जाता हूँ
पहन लेता हूँ जब दस्तार तो सर भूल जाता हूँ
भारत भूषण पन्त
ग़ज़ल
इश्क़ का रोग तो विर्से में मिला था मुझ को
दिल धड़कता हुआ सीने में मिला था मुझ को