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ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
चाय में चीनी मिलाना उस घड़ी भाया बहुत
ज़ेर-ए-लब वो मुस्कुराता शुक्रिया अच्छा लगा
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
दिन भर धूप की तरह से हम छाए रहते हैं दुनिया पर
रात हुई तो सिमट के आ जाते हैं दिल की गुफाओं में
बशीर बद्र
ग़ज़ल
चीख़ेंगे ख़ूब हम यहाँ चाहे ख़फ़ा हों मेहमाँ
नफ़रत हो जिस को शोर से घर में हमारे आए क्यों