आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "damaa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "damaa"
ग़ज़ल
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
दमा-दम शो'बदे हम को दिखाता है कोई जल्वा
कहीं शैख़-ए-हरम हो कर कहीं पीर-ए-मुग़ाँ हो कर
हरी चंद अख़्तर
ग़ज़ल
ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर
ग़ज़ल
दमा की वो मरीज़ा है मुझे खाँसी ने घेरा है
बुढ़ापे में बड़ी मजबूरियाँ दोनों तरफ़ से हैं
वहिद अंसारी बुरहानपुरी
ग़ज़ल
दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग
देखें क्या गुज़रे है क़तरे पे गुहर होते तक
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
हुए इत्तिफ़ाक़ से गर बहम तो वफ़ा जताने को दम-ब-दम
गिला-ए-मलामत-ए-अक़रिबा तुम्हें याद हो कि न याद हो