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ग़ज़ल
सभी को इल्म है डसना है साँप की फ़ितरत
फिर इस में उस की ख़ुदाया मुनाफ़िक़त क्या है
इरफानुल्लाह इरफ़ान
ग़ज़ल
ऐ सियह साँप शब मुझ को डसना प ये सोच ले
लोग अमृत भी पीते रहे ज़हर के रास्ते
ख़ुर्शीद अफ़सर बसवानी
ग़ज़ल
दश्ना-ए-ग़म्ज़ा जाँ-सिताँ नावक-ए-नाज़ बे-पनाह
तेरा ही अक्स-ए-रुख़ सही सामने तेरे आए क्यूँ
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
ये किस का तसव्वुर है ये किस का फ़साना है
जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
मिरे ताइर-ए-नफ़स को नहीं बाग़बाँ से रंजिश
मिले घर में आब-ओ-दाना तो ये दाम तक न पहुँचे
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
चले लाख चाल दुनिया हो ज़माना लाख दुश्मन
जो तिरी पनाह में हो उसे क्या किसी से डरना
पीर नसीरुद्दीन शाह नसीर
ग़ज़ल
गरचे है दिल-कुशा बहुत हुस्न-ए-फ़रंग की बहार
ताएरक-ए-बुलंद-बाम दाना-ओ-दाम से गुज़र