आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "deedawaran e bihar volume 001 003 abdul mannan tarzi ebooks"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "deedawaran e bihar volume 001 003 abdul mannan tarzi ebooks"
ग़ज़ल
दुख दिया है जिस ने दुख उस को बताना चाहिए
दिल पे क्या गुज़री है मेरे ये सुनाना चाहिए
अब्दुल मन्नान तरज़ी
ग़ज़ल
क्या क्या सुपुर्द-ए-ख़ाक हुए नामवर तमाम
इक रोज़ सब को करना है अपना सफ़र तमाम
अब्दुल रहमान ख़ान वस्फ़ी बहराईची
ग़ज़ल
ख़ून जब अश्क में ढलता है ग़ज़ल होती है
जब भी दिल रंग बदलता है ग़ज़ल होती है
अब्दुल मन्नान तरज़ी
ग़ज़ल
आशिक़-ए-गेसू-ओ-क़द तेरे गुनहगार हैं सब
मुस्तहिक़ दार के फाँसी के सज़ा-वार हैं सब