आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "deewan e guftar e bekhud ebooks"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "deewan e guftar e bekhud ebooks"
ग़ज़ल
वो क्यूँ 'बेख़ुद' को मह्व-ए-लज़्ज़त-ए-दीदार रहने दें
वो दीवाने नहीं ग़ाफ़िल को जो हुश्यार रहने दें
बेख़ुद देहलवी
ग़ज़ल
फ़ना तालीम-ए-दर्स-ए-बे-ख़ुदी हूँ उस ज़माने से
कि मजनूँ लाम अलिफ़ लिखता था दीवार-ए-दबिस्ताँ पर
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
कोई बात ऐसी आज ऐ मेरी गुल-रुख़्सार बन जाए
कि बुलबुल बातों बातों में दम-ए-गुफ़्तार बन जाए
हबीब मूसवी
ग़ज़ल
कब किया दिल पे मिरे पंद-ओ-नसीहत ने असर
नासेह-ए-बेहूदा-गुफ़्तार की अफ़्वाहें हैं
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
ग़ज़ल
लिखता है 'सिराज' उस गुल-ए-बे-ए-ख़ार की तारीफ़
दीवाँ कूँ रग-ए-गुल सती शीराज़ा हुआ महज़
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
महल-सराओं के दीवार-ओ-दर से क्या लेना
तिरे गदाओं को लाल-ओ-गुहर से क्या लेना