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ग़ज़ल
अबस है नाज़-ए-इस्तिग़्ना पे कल की क्या ख़बर क्या हो
ख़ुदा मालूम ये सामान क्या हो जाए सर क्या हो
नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल
क्या कारवान-ए-हस्ती गुज़रा रवा-रवी में
फ़र्दा को मैं ने देखा गर्द-ओ-ग़ुबार-ए-दी में
नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल
किस लिए फिरते हैं ये शम्स ओ क़मर दोनों साथ
किस को ये ढूँडते हैं बरहना-सर दोनों साथ
नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल
ये आह-ए-बे-असर क्या हो ये नख़्ल-ए-बे-समर क्या हो
न हो जब दर्द ही यारब तो दिल क्या हो जिगर क्या हो
नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल
संग-ए-जफ़ा का ग़म नहीं दस्त-ए-तलब का डर नहीं
अपना है उस पर आशियाँ नख़्ल जो बारवर नहीं
नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल
कोई मय दे या न दे हम रिंद-ए-बे-पर्वा हैं आप
साक़िया अपनी बग़ल में शीशा-ए-सहबा हैं आप
नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल
उड़ा कर काग शीशे से मय-ए-गुल-गूँ निकलती है
शराबी जम्अ हैं मय-ख़ाना में टोपी उछलती है
नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल
फिरी हुई मिरी आँखें हैं तेग़-ज़न की तरफ़
चला है छोड़ के बिस्मिल मुझे हिरन की तरफ़
नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल
नदामत है बना कर इस चमन में आशियाँ मुझ को
मिला हमदम यहाँ कोई न कोई हम-ज़बाँ मुझ को