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ग़ज़ल
पुर्सिश-ए-ग़म का शुक्रिया क्या तुझे आगही नहीं
तेरे बग़ैर ज़िंदगी दर्द है ज़िंदगी नहीं
एहसान दानिश
ग़ज़ल
सब तिरे सिवा काफ़िर आख़िर इस का मतलब क्या
सर फिरा दे इंसाँ का ऐसा ख़ब्त-ए-मज़हब क्या
यगाना चंगेज़ी
ग़ज़ल
अभी वो कमसिन उभर रहा है अभी है उस पर शबाब आधा
अभी जिगर में ख़लिश है आधी अभी है मुझ पर इताब आधा
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
ग़ज़ल
जलील मानिकपूरी
ग़ज़ल
तुयूर-ए-फ़िक्र-ओ-सुख़न की उड़ान ज़िंदा है
ख़ुदा का शुक्र कि उर्दू ज़बान ज़िंदा है
सय्यद सफ़दर रज़ा खंडवी
ग़ज़ल
शराब पी जान तन में आई अलम से था दिल कबाब कैसा
गले से लग जाओ आओ साहब कहाँ का पर्दा हिजाब कैसा
हबीब मूसवी
ग़ज़ल
तेज़ है पीने में हो जाएगी आसानी मुझे
ज़मज़मी से दे दे ज़ाहिद तो ज़रा पानी मुझे