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फ़रोग़-ए-हुस्न में क्या बे-सबात दिल का वजूद

नूह नारवी

फ़रोग़-ए-हुस्न में क्या बे-सबात दिल का वजूद

नूह नारवी

MORE BYनूह नारवी

    फ़रोग़-ए-हुस्न में क्या बे-सबात दिल का वजूद

    वो आफ़्ताब ये शबनम वो आग ये बारूद

    ज़हे मदारिज-ओ-इर्फ़ान-ओ-लुतफ़-ए-बज़्म-ए-शुहूद

    हमीं हैं अब्द हमीं अबदियत हमीं माबूद

    वो बार बार मोहब्बत से ज़िक्र-ए-ख़ैर करें

    शहीद-ए-ग़म की यही फ़ातिहा यही है दरूद

    सवाद-ए-शाम-ए-मोहब्बत है दूद-ए-बे-आतिश

    तुलू-ए-सुब्ह-ए-तमन्ना है आतिश-ए-बे-दूद

    ब-लुत्फ़-ओ-ऐश-ओ-निशात-ए-जहाँ मशू नाज़ाँ

    दरीं सरा-ए-अदम आश्ना चे-हस्त चे-बूद

    निगाह-ए-नाज़ के जौहर ये पाए क्या मुमकिन

    फ़ुग़ाँ भी तेग़ है लेकिन है तेग़-ए-ज़ंग-आलूद

    उठी घटा की तरह छा गई फ़ज़ा की तरह

    हुदूद-ए-हुस्न में तासीर-ए-इश्क़-ए-ना-महदूद

    ख़ुदा के जल्वा-ए-क़ुदरत का पूछना क्या है

    जिधर जिधर नज़र उट्ठी उधर उधर मौजूद

    तरीक़-ए-इश्क़ में क्यूँ बार-ए-ग़म उठाए दिल

    इसी पहाड़ के नीचे है मंज़िल-ए-मक़्सूद

    तुले हैं फिर मह-ओ-अंजुम मुझे सताने पर

    दिल-ए-हज़ीं वही इक नाला-ए-फ़लक-पैमूद

    ग़ज़ब हुआ कि मुक़द्दर मुझे वहाँ लाया

    जहाँ सुकून भी नापैद लुत्फ़ भी मफ़क़ूद

    रहा ये अपनी हयात-ओ-ममात का आलम

    कभी वजूद अदम था कभी अदम था वजूद

    निगाह-ए-नाज़ में दिल का कुछ इक़्तिदार नहीं

    अगर अभी है ये मक़्बूल तो अभी मरदूद

    हवास-ओ-होश फ़रिश्तों के जिस से रह सकें

    फ़ज़ा में गूँज रहा है वो नग़्मा-ए-दाऊद

    बढ़ाए वादी-ए-हसरत में क्या क़दम कोई

    कि ख़िज़्र-ए-राह भी गुम और राह भी मसदूद

    फ़रोग़-ए-हुस्न तग़य्युर-पसंद कुछ भी नहीं

    ज़िया-ए-किरमक-ए-शब-ताब की है कोई नुमूद

    यहाँ अदा-ए-फ़राएज़ की सूरतें हैं जुदा

    नमाज़-ए-इश्क़ में वाजिब नहीं रुकू-ओ-सुजूद

    पयाम-ए-मर्ग भी पहुँचा नवेद-ए-ज़ीस्त के साथ

    जो इत्तिफ़ाक़ से अमृत मिला तो ज़हर-आलूद

    वफ़ा-ओ-इशक़ की दुश्वारियाँ ख़ुदा की पनाह

    अजब अजब हैं शराइत अजब अजब हैं क़ुयूद

    तसर्रुफ़ात-ए-मोहब्बत के सब करिश्मे हैं

    नहीं तो क्यूँ हो तसद्दुक़ अयाज़ पर महमूद

    अदम से आए थे हम और फिर अदम को गए

    ये है हक़ीक़त-ए-क़ब्ल-अज़-वजूद-ओ-बा'द-ए-वजूद

    तिरा क़लक़ भी तिरा दर्द भी तिरा ग़म भी

    हमारे इश्क़ के इतने गवाह हैं मौजूद

    ख़ुदा करे कि दा'वा करें ख़ुदाई का

    सुना तो होगा बुतों ने नतीजा-ए-नमरूद

    बशर को क़ुव्वत-ए-एहसास ने ख़राब किया

    जो ये हो तो जहाँ में फिर ज़ियाँ है सूद

    रह-ए-तलब में क़दम डगमगाए जाते हैं

    सँभाल या मिरे अल्लाह या मिरे माबूद

    निगाह कर्द ज़ि-क़हर-ओ-इताब फ़ित्ना-गरे

    ब-ईं तवक़्क़ुफ़-ए-अंदक हवास-ओ-होश-ए-रबूद

    जमाल-ए-शाहिद-ए-मुतलक़ से जिस को मतलब है

    वो दिल सईद नज़र असअ'द आरज़ू मसऊद

    जनाब-ए-'नूह' को तूफ़ान-ए-ग़म से ख़ौफ़ नहीं

    कि इख़्तियार में उन के है कश्ती-ए-मक़्सूद

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