आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "goshe"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "goshe"
ग़ज़ल
जो भी मिला उसी का दिल हल्क़ा-ब-गोश-ए-यार था
उस ने तो सारे शहर को कर के ग़ुलाम रख दिया
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
हर बच्चा आँखें खोलते ही करता है सवाल मोहब्बत का
दुनिया के किसी गोशे से उसे मिल जाए जवाब तो अच्छा हो
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
जो ज़माने को बुरा कहते हैं ख़ुद हैं वो बुरे
काश ये बात तिरे गोश-ए-गिराँ तक पहुँचे
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
गोशे में तिरी चश्म-ए-सियह-मस्त के दिल ने
की जब से जगह ख़ाना-ए-ख़ु़म्मार भी छोड़ा