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ग़ज़ल
मुझे बे-दस्त-ओ-पा कर के भी ख़ौफ़ उस का नहीं जाता
कहीं भी हादिसा गुज़रे वो मुझ से जोड़ देता है
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
बड़ी बड़ी ख़ुशियों को हाँ नज़दीक से जा कर देखा तो
मैं ने राह के चलते-फिरते दुख से नाता जोड़ लिया
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
ख़य्यात ने क़ज़ा के जामा सिया जो मेरा
आया न जी में इतना क्या इस में जोड़ डालूँ