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मुश्किल को समझने का वसीला निकल आता

अम्बर खरबंदा

मुश्किल को समझने का वसीला निकल आता

अम्बर खरबंदा

MORE BYअम्बर खरबंदा

    मुश्किल को समझने का वसीला निकल आता

    तुम बात तो करते कोई रस्ता निकल आता

    घर से जो मिरे सोना या पैसा निकल आता

    किस किस से मिरा ख़ून का रिश्ता निकल आता

    मेरे लिए दोस्त बस इतना ही बहुत था

    जैसा तुझे सोचा था तू वैसा निकल आता

    मैं जोड़ तो देता तिरी तस्वीर के टुकड़े

    मुश्किल था कि वो पहला सा चेहरा निकल आता

    बस और तो क्या होना था दुख-दर्द सुना कर

    यारों के लिए एक तमाशा निकल आता

    ऐसा हूँ मैं इस वास्ते चुभता हूँ नज़र में

    सोचो तो अगर मैं कहीं वैसा निकल आता

    अच्छा हुआ परखा नहीं 'अम्बर' को किसी ने

    क्या जानिए क्या शख़्स था कैसा निकल आता

    स्रोत :
    • पुस्तक : KYA ARZ KARUN (URDU HINDI POETRY) (पृष्ठ 28)
    • रचनाकार : Ambar Kharbanda
    • प्रकाशन : Aseem Parkashan (2014)
    • संस्करण : 2014

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