aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "khayaalaat"
सुना है उस की सियह-चश्मगी क़यामत हैसो उस को सुरमा-फ़रोश आह भर के देखते हैं
उजालों की परियाँ नहाने लगींनदी गुनगुनाई ख़यालात की
वो मिरे हैं मुझे मिल जाएँगे आ जाएँगेऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया
है तेरी याद इस दिल में लिपटी हुई हर घड़ी है तसव्वुर तिरे हुस्न कातेरी उल्फ़त का पहरा लगा है सनम कौन आएगा मेरे ख़यालात में
पेड़ों के बाज़ुओं में महकती है चाँदनीबेचैन हो रहे हैं ख़यालात क्या करें
आँखों में ख़यालात में साँसों में बसा हैचाहे भी तो मुझ से वो जुदा हो नहीं सकता
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों कावो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशीऔर अपने गरेबान में झाँका नहीं जाता
मैं हूँ अब तेरे ख़यालात का इक अक्स-ए-जमीलआईना-ख़ाने से निकला तो किधर जाऊँगा
हैं सेहर-ए-मुसव्विर में क़यामत नहीं करतेरंगों से निकलने की जसारत नहीं करते
दिल-कुशा बादा-ए-साफ़ी का किसे ज़ौक़ नहींबातिन-अफ़रोज़ कोई पीर-ए-ख़राबात तो हो
हर शय से मुक़द्दस है ख़यालात का रिश्ताक्यूँ मस्लहतों पर उसे क़ुर्बान किया जाए
ख़ुद को माज़ी में रखूँ हाल में रहते हुए भीनए वक़्तों के ख़यालात न लिखने पाऊँ
रब्त बढ़ाया न 'क़तील' इस लिएफ़र्क़ था दोनों के ख़यालात में
न तू है कहीं और न मैं हूँ कहींये सब सिलसिले हैं ख़यालात के
मुझ को सुनिए नज़र-अंदाज़ न कीजे साहबमेरे हालात से अच्छे हैं ख़यालात मिरे
तेरी आवाज़ के जादू ने जगाया है जिन्हेंवो तसव्वुर वो ख़यालात किसे पेश करूँ
फिर ख़मोशी ने साज़ छेड़ा हैफिर ख़यालात ने ली अंगड़ाई
इस शहर में सब ठीक है क्या सोच रहे होरोना है तो अपने ही ख़यालात पे रोना
सच तो ये कि अभी दिल को सुकूँ है लेकिनअपने आवारा ख़यालात से जी डरता है
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