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ग़ज़ल
है दिल-ए-शोरीदा-ए-'ग़ालिब' तिलिस्म-ए-पेच-ओ-ताब
रहम कर अपनी तमन्ना पर कि किस मुश्किल में है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
मुतरिब-ए-दिल ने मिरे तार-ए-नफ़स से 'ग़ालिब'
साज़ पर रिश्ता पए नग़्मा-ए-'बेदिल' बाँधा
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
गोरे गालों पर तिरे ज़ुल्फ़ें ये लहराती नहीं
यासमीं-ज़ार-ए-सबाहत में है जोड़ा साँप का
रिन्द लखनवी
ग़ज़ल
ऐ ख़त उस के गोरे गालों पर ये तू ने क्या किया
चाँदनी रातें यकायक हो गईं अँधयारीयाँ
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
सुन किसी मज्ज़ूब से एक बार रूदाद-ए-ग़दीर
ख़ुम के मिम्बर पर अली का मर्तबा कुछ और है
इफ़्फ़त अब्बास
ग़ज़ल
मुझ पर इक इल्ज़ाम है क़ैद-ए-क़फ़स वो भी ग़लत
जिस की नीयत में हो आज़ादी वो ज़िंदानी नहीं
सीमाब अकबराबादी
ग़ज़ल
आ गया बार-ए-नज़र से अरक़ इन गालों पर
ये हैं वो हम जिन्हें कहते हैं नज़ाकत वाले