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ग़ज़ल
हर लहज़ा कमीं दिल में तिरी याद रहेगी
बस्ती ये उजड़ने पे भी आबाद रहेगी
कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
ग़ज़ल
हर लहज़ा मकीं दिल में तिरी याद रहेगी
बस्ती ये उजड़ने पे भी आबाद रहेगी