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ग़ज़ल
एक तहज़ीब है दोस्ती की एक मेयार है दुश्मनी का
दोस्तों ने मुरव्वत न सीखी दुश्मनों को अदावत तो आए
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
आमिर उस्मानी
ग़ज़ल
हुस्न को देखा है मैं ने हुस्न की ख़ातिर 'हफ़ीज़'
वर्ना सब अपना ही मेयार-ए-नज़र देखा किए
हफ़ीज़ होशियारपुरी
ग़ज़ल
तेरे बख़्शे हुए इक ग़म का करिश्मा है कि अब
जो भी ग़म हो मिरे मेयार से कम होता है
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
उड़ानों आसमानों आशियानों के लिए ताइर!
ये पर टूटे हुए मेरे ये मेयार-ए-नज़र ले जा
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
जाने इस शहर का मे'यार-ए-सदाक़त क्या है
बुत भी हाथों में लिए फिरते हैं क़ुरआन यहाँ
सैफ़ुद्दीन सैफ़
ग़ज़ल
गिर न जाए तिरे मेयार से अंदाज़-ए-हुरूफ़
यूँ कभी नाम भी तेरा नहीं लिख्खा मैं ने