आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "musalmaan"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "musalmaan"
ग़ज़ल
का'बे में मुसलमान को कह देते हैं काफ़िर
बुत-ख़ाने में काफ़िर को भी काफ़िर नहीं कहते
बिस्मिल सईदी
ग़ज़ल
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
मुसलमाँ के लहू में है सलीक़ा दिल-नवाज़ी का
मुरव्वत हुस्न-ए-आलम-गीर है मर्दान-ए-ग़ाज़ी का
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
उम्र सारी तो कटी इश्क़-ए-बुताँ में 'मोमिन'
आख़िरी वक़्त में क्या ख़ाक मुसलमाँ होंगे
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
अगर हो इश्क़ तो है कुफ़्र भी मुसलमानी
न हो तो मर्द-ए-मुसलमाँ भी काफ़िर ओ ज़िंदीक़
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
राहिल हूँ मुसलमान ब-साद-नारा-ए-तकबीर
ये क़ाफ़िला ये बाँग-ए-दरा मेरे लिए है
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
ऐ मुसलमाँ अपने दिल से पूछ मुल्ला से न पूछ
हो गया अल्लाह के बंदों से क्यूँ ख़ाली हरम