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ग़ज़ल
तिरी दोस्ती का कमाल था मुझे ख़ौफ़ था न मलाल था
मिरा रोम रोम था हैरती मिरा दिल भी महव-ए-धमाल था
आतिफ़ वहीद यासिर
ग़ज़ल
ख़्वाबों का नश्शा है न तमन्ना का सिलसिला
अब रह गया है बस ग़म-ए-दुनिया का सिलसिला
अबु मोहम्मद सहर
ग़ज़ल
एज़ार-ए-यार पे ज़ुल्फ-ए-सियाह-फ़ाम नहीं
मगर ये हश्र का दिन है कि जिस की शाम नहीं