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ग़ज़ल
देख तू बे-रहम आशिक़ नीं तुझे छोड़ा नहीं
किस क़दर बे-रूइयाँ देखीं प मुँह मोड़ा नहीं
आबरू शाह मुबारक
ग़ज़ल
सुब्ह-ए-तरब को कौन पुकारे हम को है ग़म की शाम बहुत
पहरों-पहरों जब दिल तड़पे मिलता है आराम बहुत
पयाम फ़तेहपुरी
ग़ज़ल
फ़िरोज़ नातिक़ ख़ुसरो
ग़ज़ल
बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है
शरार-ए-संग-ए-मूसा के लिए बर्क़-ए-तजल्ला है
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
यासिर इक़बाल
ग़ज़ल
बन के किस शान से बैठा सर-ए-मिंबर वाइ'ज़
नख़वत-ओ-उज्ब हयूला है तो पैकर वाइ'ज़