aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "qamar"
सुना है चश्म-ए-तसव्वुर से दश्त-ए-इम्काँ मेंपलंग ज़ाविए उस की कमर के देखते हैं
जब सितारे ही नहीं मिल पाएले के हम शम्स-ओ-क़मर क्या करते
रोना इलाज-ए-ज़ुल्मत-ए-दुनिया नहीं तो क्याकम-अज़-कम एहतिजाज-ए-ख़ुदाई है रोइए
फूल गुल शम्स ओ क़मर सारे ही थेपर हमें इन में तुम्हीं भाए बहुत
'क़मर' ज़रा भी नहीं तुम को ख़ौफ़-ए-रुस्वाईचले हो चाँदनी शब में उन्हें बुलाने को
तेवर तिरे ऐ रश्क-ए-क़मर देख रहे हैंहम शाम से आसार-ए-सहर देख रहे हैं
मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गयाबर्क़ सी गिर गई काम ही कर गई आग ऐसी लगाई मज़ा आ गया
'क़मर' मैं हूँ मुख़्तार तंज़ीम-ए-शब काहैं मेरे ही बस में अँधेरे उजाले
कब तक 'क़मर' हो शाम के वा'दे का इंतिज़ारसूरज छुपा चराग़ जले रात हो गई
तारों की बहारों में भी 'क़मर' तुम अफ़्सुर्दा से रहते होफूलों को तो देखो काँटों में हँस हँस के गुज़ारा करते हैं
पाँव कमर तक धँस जाते हैं धरती मेंहाथ पसारे जब ख़ुद्दारी रहती है
सर-ब-सर ये फ़राज़-ए-मह्र-ओ-क़मरतेरी उठती हुई जवानी है
भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज 'फ़ैज़'मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के
ये बस्ती है मुसलमानों की बस्तीयहाँ कार-ए-मसीहा क्यूँ करें हम
आए हैं 'मीर' काफ़िर हो कर ख़ुदा के घर मेंपेशानी पर है क़श्क़ा ज़ुन्नार है कमर में
है क्या जो कस के बाँधिए मेरी बला डरेक्या जानता नहीं हूँ तुम्हारी कमर को मैं
जहाँ सारे हवा बनने की कोशिश कर रहे थेवहाँ भी हम दिया बनने की कोशिश कर रहे थे
मारोगे किस को जी से किस पर कमर कसी हैफिरते हो क्यूँ प्यारे तलवार ढाल बाँधे
एक आलम नज़र आएगा गिरफ़्तार तुम्हेंअपने गेसू-ए-रसा ता-ब-कमर जाने दो
तलाश-ए-मंज़िल-ए-मक़्सद की गर्दिश उठ नहीं सकतीकमर खोले हुए रस्ते में हम रहज़न के बैठे हैं
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books