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ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
नशात-ए-फ़त्ह से तो दामन-ए-दिल भर नहीं पाए
मगर क्यूँ हारने वाले मोहब्बत कर नहीं पाए
ग़ुलाम हुसैन साजिद
ग़ज़ल
मोहब्बत तुझ से वाबस्ता रहेगी जावेदाँ मेरी
तिरे क़िस्सा के पीछे पीछे होगी दास्ताँ मेरी