aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ravaadaar"
बस इक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल कासो रह-रवान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं
आँख उठा कर जो रवादार न था देखने कावही दिल करता है अब मिन्नत ओ ज़ारी उस की
इश्क़ हमदर्दी-ए-आलम का रवादार नहींहो गई भूल 'फ़िराक़' आप के ग़म-ख़्वारों से
हम इस से मता-ए-दिल-ओ-जाँ माँग रहे हैंजो एक तबस्सुम का रवादार नहीं है
इंसानियत के दर्द का है तर्जुमाँ बशीरये बे-मुरव्वती का रवादार नहीं है
सहरा के गर्द-ओ-गर्म ही अब रास आ गए'सीमा' किसी चमन के रवादार हम नहीं
इक फल के रवादार न थे ख़ुल्द-ए-बरीं मेंदिल तेरी बहिश्तों की तलब छोड़ गया है
बे-लौस-ओ-रवादार तुम्हारी ही तरह होदुश्मन भी मिरे यार तुम्हारी ही तरह हो
बन रवादार ये अपनों की शिकायत कैसीनाम इसी का तो मुरव्वत है कि नुक़सान उठा
मोह लेता है वो गुफ़्तार से दुनिया भर कोबात करने का रवादार नहीं है घर में
मैं जिस को देखने की रवा-दार तक न थीसर उस के सामने भी झुकाना पड़ा मुझे
अब शिकायत न करो आप ने जो दर्द दिएहम को पीने का रवादार बना देते हैं
मैं ख़ुद से निभाने का रवादार नहीं थाये पहली मोहब्बत मिरे हम-ज़ाद की ज़िद है
मैं परेशाँ हूँ भिकारी तो नहीं हूँ लोगोक्यों कोई आँख मिलाने का रवादार नहीं
उस पे होते हैं ज़माने के करम ऐ 'अफ़ज़ल'इक ज़रा से जो करम का भी रवादार न हो
इश्क़ करते ही हुए अपने पराए दुश्मनबात करने का कोई मुझ से रवादार न था
इस दौर में करम का रवादार कौन हैपचताए क्यूँ कोई सितम-ए-ना-रवा के बा'द
मिटते हैं बेबसी के रवादार इस तरहघिसते हैं जैसे भुरभुरे पत्थर ज़रा ज़रा
मैं तो इस बात पे तैयार नहीं हो सकतातुझ को खोने का रवादार नहीं हो सकता
आज तन्हा सही कोई पुरसाँ नहीं ज़ीस्त ऐसी हमेशा नहीं थी 'ज़ुबैर'क़िस्सा-ए-ग़म सुना शौक़ से जिस ने था अब नहीं सुनने को वो रवादार है
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