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ग़ज़ल
अपनी क़िस्मत में है नोक-ए-ख़ार या शाख़-ए-बहार
फूल हैं या फुलझड़ी है रौशनी ऐ रौशनी
हसन अख्तर जलील
ग़ज़ल
मर गया वो शख़्स जिस से तुम को मिलना आर था
कौन था वो तेरा 'रश्की' आशिक़-ए-सरशार हाए