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ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
ख़िज़ाँ की रुत में गुलाब लहजा बना के रखना कमाल ये है
हवा की ज़द पे दिया जलाना जला के रखना कमाल ये है
मुबारक सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
नोच कर शाख़ों के तन से ख़ुश्क पत्तों का लिबास
ज़र्द मौसम बाँझ-रुत को बे-लिबासी दे गया