aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shtaar"
शरअ' ओ आईन पर मदार सहीऐसे क़ातिल का क्या करे कोई
हर बुल-हवस ने हुस्न-परस्ती शिआ'र कीअब आबरू-ए-शेवा-ए-अहल-ए-नज़र गई
'साग़र' किसी के हुस्न-ए-तग़ाफ़ुल-शिआर कीबहकी हुई अदा हूँ मुझे याद कीजिए
अपनी ख़बर, न उस का पता है, ये इश्क़ हैजो था, नहीं है, और न था, है, ये इश्क़ है
वफ़ा-शिआर कई हैं कोई हसीं भी तो होचलो फिर आज उसी बेवफ़ा की बात करें
'फ़ैज़' ज़िंदा रहें वो हैं तो सहीक्या हुआ गर वफ़ा-शिआर नहीं
हम ने देखा है कि मिल जाते हैं लड़ने वालेसुल्ह की ख़ू भी तो ऐ बानी-ए-शर पैदा कर
सतर-ए-मू उस की ज़ेर-ए-नाफ़ की हाएजिस की चाक़ू-ज़नों को ताब नहीं
ये जाम छलका कि आँचल बहार का ढलकाशरीर शोशा शरारा शबाब शर शोख़ी
मैं हूँ वफ़ा-शिआ'र यहाँ जी के क्या करूँये दौर-ए-बेवफ़ा है मुझे मार दीजिए
देखा तो था यूँही किसी ग़फ़लत-शिआर नेदीवाना कर दिया दिल-ए-बे-इख़्तियार ने
क्या बताऊँ कि जो हंगामा बपा है मुझ मेंइन दिनों कोई बहुत सख़्त ख़फ़ा है मुझ में
दे दिया दर्द मुझ को दिल के एवज़हाए लुत्फ़-ए-सितम-शिआर न पूछ
मैं बेवफ़ा हूँ ग़ैर निहायत वफ़ा शिआरमेरा सलाम लीजे मिलें अब उसी से आप
ज़ब्त अपना शिआर था न रहादिल पे कुछ इख़्तियार था न रहा
कोई मिला तो किसी और की कमी हुई हैसो दिल ने बे-तलबी इख़्तियार की हुई है
बचाए ख़ुदा शर की ज़द से उसेबिचारा बहुत नेक-आमाल है
क्या ग़लत सोचते हैं 'मीरा-जी'शेर कहना शिआ'र है अपना
ज़ीस्त के शोर-ओ-शर में डूब गएवक़्त को नापने के पैमाने
ग़मों में कुछ कमी या कुछ इज़ाफ़ा कर रहे हैंसमझ में कुछ नहीं आता कि हम क्या कर रहे हैं
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