आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "tareekh ul ummat part 002 mohammad aslam jairajpuri ebooks"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "tareekh ul ummat part 002 mohammad aslam jairajpuri ebooks"
ग़ज़ल
ग़ज़ब है जुस्तजू-ए-दिल का ये अंजाम हो जाए
कि मंज़िल दूर हो और रास्ते में शाम हो जाए
शेरी भोपाली
ग़ज़ल
नुमायाँ दोनों जानिब शान-ए-फ़ितरत होती जाती है
उन्हें मुझ से मुझे उन से मोहब्बत होती जाती है
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
ग़ैरों को भला समझे और मुझ को बुरा जाना
समझे भी तो क्या समझे जाना भी तो क्या जाना
मीर मेहदी मजरूह
ग़ज़ल
उन्हीं लोगों की बदौलत ये हसीं अच्छे हैं
चाहने वाले इन अच्छों से कहीं अच्छे हैं
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
तर्क-ए-मोहब्बत अपनी ख़ता हो ऐसा भी हो सकता है
वो अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो ऐसा भी हो सकता है
मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद
ग़ज़ल
जोश-ए-वहशत में मुसल्लम हो गया इस्लाम-ए-इश्क़
कूचा-गर्दी से मिरी पूरा हुआ एहराम-ए-इश्क़