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ग़ज़ल
अभी इक शोर-ए-हा-ओ-हू सुना है सारबानों ने
वो पागल क़ाफ़िले की ज़िद में पीछे रह गया होगा
जौन एलिया
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
बात बहुत मा'मूली सी थी उलझ गई तकरारों में
एक ज़रा सी ज़िद ने आख़िर दोनों को बरबाद किया