आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ",rqo"
नज़्म के संबंधित परिणाम ",rqo"
नज़्म
अख़्तर शीरानी
नज़्म
उस जान-ए-जहाँ को भी यूँही क़ल्ब-ओ-नज़र ने
हँस हँस के सदा दी कभी रो रो के पुकारा
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मिरा तो कुछ भी नहीं है मैं रो के जी लूँगा
मगर ख़ुदा के लिए तुम असीर-ए-ग़म न रहो
साहिर लुधियानवी
नज़्म
हुवैदा आज अपने ज़ख़्म-ए-पिन्हाँ कर के छोड़ूँगा
लहू रो रो के महफ़िल को गुलिस्ताँ कर के छोड़ूँगा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये सुर्ख़ सुर्ख़ फूल हैं कि ज़ख़्म हैं बहार के
ये ओस की फुवार हैं, कि रो रहा है आसमाँ
आमिर उस्मानी
नज़्म
तुम अपने प्यार को रुस्वा करो न रो रो कर
तुम्हारा प्यार मुक़द्दस है बाइबल की तरह
कफ़ील आज़र अमरोहवी
नज़्म
मैं जिस के आँचलों में मुँह छुपा के रो न सका
वो माँ कि घुटनों से जिस के कभी लिपट न सका