आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "حلوا"
नज़्म के संबंधित परिणाम "حلوا"
नज़्म
फिर हांडा है न भांडा है न हल्वा है न मांडा है
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
हलवे के लिए फिर आज भी हम इक आस लगाए बैठे हैं
जो बात ज़बाँ पर ला न सके वो दिल में छुपाए बैठे हैं
शौकत परदेसी
नज़्म
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
उसी मालिक को फिर हलवे की दावत पर बुलाते हैं
वो हलवा ख़ूब खाते हैं उसे भी कुछ खिलाते हैं
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
जो हलवा रख के अलमारी में आपी बंद करती हैं
खिलाती हैं न खाती हैं पड़ा बर्बाद होता है