aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "زبان"
इसी लिए तो जो लिक्खा तपाक-ए-जाँ से लिखाजभी तो लोच कमाँ का ज़बान तीर की है
ज़बान ख़ुश्क है आवाज़ रुकती जाती हैतसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
मगन था मैं कि प्यार के बहुत से गीत गाऊँगाज़बान गुंग हो गई, गले में गीत घुट गए
मिरी ज़बान-ए-क़लम से किसी का दिल न दुखेकिसी से शिकवा न हो ज़ेर-ए-आसमाँ मुझ को
वो आँख जिस के बनाव प ख़ालिक़ इतराएज़बान-ए-शेर को तारीफ़ करते शर्म आए
सोसाइटी के चेहरे पे वो ज़बान चलती हैकि एक एक बंदे के पास
मुल्कज़बान
ज़बान मिल गई है सारे बे-ज़बानों कोजो ज़ुल्म सहते थे वो अब हिसाब माँगते हैं
खुल जाए गर ये बात कि उर्दू ज़बान परतेरी निगाह-ए-नाज़ का एहसाँ है किस क़दर
हमारी प्यारी ज़बान उर्दूहमारी नग़्मों की जान उर्दू
इज़्ज़त की कनी हमारी ज़बान से शुरूअ' होती हैकोई रात हमारा नमक चख ले
मैं अपनी बीमारी बताने से मा'ज़ूर हूँमुझे ज़बान की अजीब बीमारी हो गई है
ज़मीन नश्शा, ज़मान नश्शा, जहान नश्शा, मकान नश्शामकान क्या? ला-मकान नश्शा, डुबो रहे हैं पिला रहे हैं
कोई ये कह कर ज़बान सी देलिखो क़सीदे
सब ज़बानों की जान है उर्दूकितनी प्यारी ज़बान है उर्दू
इसी अकेले पहाड़ पर तू मुझे मिला थायही बुलंदी है वस्ल तेरा
तिरे लबों पे ज़बान रख करमैं नूर का वो हसीन क़तरा भी पी गया हूँ
ज़बान-ए-हिन्द है उर्दू तो माथे की शिकन क्यूँ हैवतन में बे-वतन क्यूँ है
सुनो कि हम बे-ज़बान-ओ-बेकसबशीर भी हैं नज़ीर भी हैं
वो हमेशा के लिए चुप हुए मगर इक जहाँ को ज़बान दोवो हमेशा के लिए सो गए मगर इक जहाँ को जगा दिया
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