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नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मुझे इक़रार है ये ख़ेमा-ए-अफ़्लाक का साया
उसी की बख़्शिशें हैं उस ने सूरज चाँद तारों को
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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मुझे इक़रार है ये ख़ेमा-ए-अफ़्लाक का साया
उसी की बख़्शिशें हैं उस ने सूरज चाँद तारों को
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