आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "صبر"
नज़्म के संबंधित परिणाम "صبر"
नज़्म
अब चमकेगा बे-सब्र निगाहों का मुक़द्दर
इस बाम से निकलेगा तिरे हुस्न का ख़ुर्शीद
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
क़ल्ब ओ नज़र की ज़िंदगी दश्त में सुब्ह का समाँ
चश्मा-ए-आफ़्ताब से नूर की नद्दियाँ रवाँ!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तुझ को मिस्ल-ए-तिफ़्लक-ए-बे-दस्त-ओ-पा रोता है वो
सब्र से ना-आश्ना सुब्ह ओ मसा रोता है वो
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
चमन को छोड़ के निकला हूँ मिस्ल-ए-निकहत-ए-गुल
हुआ है सब्र का मंज़ूर इम्तिहाँ मुझ को
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
दरगुज़र के गुलशन में अब्र बन के रहते हैं
सब्र के समुंदर में कश्तियाँ चलाते हैं
अमजद इस्लाम अमजद
नज़्म
बे-तेरे क्या वहशत हम को, तुझ बिन कैसा सब्र ओ सुकूँ
तू ही अपना शहर है जानी तू ही अपना सहरा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
ताक़त-ए-सब्र अगर हो तो ये ग़म-ख़्वार भी हैं
हाथ ख़ाली हूँ तो ये जिन्स-ए-गिराँ-बार भी हैं
ज़ेहरा निगाह
नज़्म
अब सब्र के मीठे फल आहें भर भर कर खाते हैं
मालन को बना बैठे ख़ाला माली को रुलाना छोड़ दिया