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नज़्म
अगर उस्मानियों पर कोह-ए-ग़म टूटा तो क्या ग़म है
कि ख़ून-ए-सद-हज़ार-अंजुम से होती है सहर पैदा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
सिदक़-ए-ख़लील भी है इश्क़ सब्र-ए-हुसैन भी है इश्क़!
म'अरका-ए-वजूद में बद्र ओ हुनैन भी है इश्क़!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
सर्व-क़द मिट्टी के बौनों के क़दम चूमेंगे
फ़र्श पर आज दर-ए-सिदक़-ओ-सफ़ा बंद हुआ
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
फिर दुहल करने लगे तशहीर-ए-इख़लास-ओ-वफ़ा
कुश्ता-ए-सिदक़-ओ-सफ़ा का दिल जलाने के लिए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
हुकूमत है जहाँ सिद्क़-ओ-सफ़ा ओ मेहर-ओ-उल्फ़त की
नशात-ओ-ऐश-ओ-इशरत की सुरूर-ओ-लुत्फ़-ओ-राहत की
अख़्तर शीरानी
नज़्म
एक ख़िज़्र-ए-अस्र-ए-हाज़िर इक कलीम-ए-अहद-ए-नौ
एक सद्र-ए-महफ़िल-ए-रुहानियाँ पैदा हुआ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
''निगह-ए-जल्वा-परस्त और नफ़स-ए-सिद्क़-गुज़ीं''
इक ''उभय-चंद'' मिरे नामा-ए-आमाल में है