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नज़्म
जौन एलिया
नज़्म
फ़िक्र-ए-इंसाँ पर तिरी हस्ती से ये रौशन हुआ
है पर-ए-मुर्ग़-ए-तख़य्युल की रसाई ता-कुजा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
काँटे भी राह में हैं फूलों की अंजुमन भी
तुम फ़ख़्र-ए-क़ौम बनना और नाज़िश-ए-वतन भी
अहमद हातिब सिद्दीक़ी
नज़्म
मुझ को ये फ़ख़्र कि मैं हक़्क़-ओ-सदाक़त का अमीं
मुझ को ये ज़ोम ख़ुद-आगाह हूँ ख़ुद्दार हूँ मैं
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
मुझ को है फ़ख़्र कि उस क़ौम से निस्बत है मिरी
फ़ातिमा मरियम-ओ-सीता सी हैं रहबर जिस की
हिना रिज़्वी
नज़्म
ये अपने पास कुछ भी फ़ख़्र के क़ाबिल नहीं रखते
तरस खा कर जिन्हें जनता ने कुर्सी पर बिठाया है
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
शौक़-ए-शोहरत हवस-ए-गर्मी-ए-बाज़ार नहीं
दिल वो यूसुफ़ है जिसे फ़िक्र-ए-ख़रीदार नहीं
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
हमें ये फ़ख़्र हासिल है पयाम-ए-नूर लाए हैं
ज़मीं पहले-पहल चूमी है जिस ने वो किरन हम हैं