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नज़्म
बदल दे क़िस्सा-ए-मजनून-ए-पाबंद-ए-सलासिल को
बदल दे दास्तान-ए-कोहना-ए-लैला-ए-महमिल को
बर्क़ आशियान्वी
नज़्म
नज़र मेरी नहीं ममनून-ए-सैर-ए-अरसा-ए-हस्ती
मैं वो छोटी सी दुनिया हूँ कि आप अपनी विलायत हूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
आह सीमाब-ए-परेशाँ अंजुम-ए-गर्दूं-फ़रोज़
शोख़ ये चिंगारियाँ ममनून-ए-शब है जिन का सोज़
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ढूँडती फिरती है मुतरिब को फिर उस की आवाज़
जोशिश-ए-दर्द से मजनूँ के गरेबाँ की तरह
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
छाना दश्त-ए-मोहब्बत कितना आबला-पा मजनूँ की मिसाल
कभी सिकंदर कभी क़लंदर कभी बगूला कभी ख़याल
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
''शोर-ए-लैला को कि बाज़-आराइश-ए-सौदा कुनद
ख़ाक-ए-मजनूँ-रा ग़ुबार-ए-ख़ातिर-ए-सहरा कुनद''
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
नुशूर वाहिदी
नज़्म
जो चलते हैं उन्हीं रस्तों पे जो मंज़िल नहीं रखते
ये मजनूँ अपनी नज़रों में कोई महमिल नहीं रखते
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
न पागल हूँ न मजनूँ हूँ न है कोई मरज़ मुझ को
अमल पैरा हूँ मैं जिस पर पुराना इक मक़ूला है
सय्यद हशमत सुहैल
नज़्म
कल सोला टेड्डी पैसों में किस धूम की रास रचाई है
लैला के लबों पर सुर्ख़ी है मजनूँ के गले में टाई है
सय्यद ज़मीर जाफ़री
नज़्म
फ़ना तालीम दरस-ए-बे-ख़ुदी हूँ इस ज़माने से
कि मजनूँ लाम अलिफ़ लिखता था दीवार-ए-दबिस्ताँ पर